Tuesday, 19 April 2011

♥ जाने पापा कब समझेंगे ♥ ♥


जाने पापा कब समझेंगे  
" मेरा मुन्ना कहता है माँ, पापा ऐसा क्यूँ करते हैं!
  आम आदमी, मजदूरों से आखिर, इतना क्यूँ जलते हैं!
 वो कहते हैं मम्मी मुझसे, उस बस्ती ना जाया कर तू,
 उस बस्ती में बे-संसाधन, लोगों के बच्चे रहते हैं!

    जाने पापा कब समझेंगे, ये दौलत भगवान नहीं है!
    सोने के हों सिक्के बेशक, उनसे मिलती जान नहीं है!

मम्मी मेरे मन का मंथन , इन शब्दों से कहा ना जाए!
मैं इन्सां हूँ, वो इंसा हैं, दूर दूर अब रहा ना जाए …………….

लेकिन मम्मी मैंने भी, उस बस्ती के बच्चे देखें हैं!
हाथ भी मेरे जैसे उनके, और कान भी मुझ जैसे हैं!
मुझ जैसे ही चलते हैं वो, मेरी तरहा बातें करते,
जैसे मेरे होते मम्मी, उनके भी आंसू वैसे हैं!
   
      जाने पापा कब समझेंगे, ये दौलत भगवान नहीं है!
      वो भी मानव के वंशज हैं, वो कोई हैवान नहीं हैं!

दिन प्रतिदिन बदने वाला, अब ये मंजर सहा ना जाए!
मैं इन्सां हूँ, वो इंसा हैं, दूर दूर अब रहा ना जाए …………….

मम्मी, पापा को समझाओ, मानवता का पाठ पढाओ!
इक मालिक के हम सब बच्चे, उनको ये दर्पण दिखलाओ!
मेरे भी ये लाल लहू है, और लाल ही होता उनका,
हो सकता है मान भी जायें, उनको ये बातें बतलाओ!
  
       जाने पापा कब समझेंगे, ये दौलत भगवान नहीं है!
       उस घर में भी इंसा रहते, "देव" का घर शमशान नहीं है!

दिल घुटता है अब तो मेरा, इन आँखों से बहा ना जाए!
मैं इन्सां हूँ, वो इंसा हैं, दूर दूर अब रहा ना जाए!”

"देखिये जरा, बच्चे तक तो समझ गए हैं की, जातिवाद, धर्मवाद, अमीरी का अभिमान गलत है, तो चलो हम भी समझ जायें- चेतन रामकिशन (देव)"


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