♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥मजदूर ( बहुत मजबूर)♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
"कभी थकता नहीं है वो, ना मैं में चूर होता है!
यही इन्सां तो मेरे देश, का मजदूर होता है!
तड़प आँखों में होती है, झिझक बातों में होती है,
उसी का ज़ख्म घिस घिस कर, यहाँ नासूर होता है!
नहीं सुनवाई होती है, नहीं मिलती दवाई है,
यहाँ सत्ता का दरवाजा भी, उससे दूर होता है!
उसी के हक पे है डाका, उसी की जान मामूली,
वो कुछ भी कर नहीं सकता, बड़ा मजबूर होता है!
बहुत बेबस है लेकिन "देव", वो इन्सान है बेहतर,
उसी के दिल में सच्चाई का, जिन्दा नूर होता है!"
" सच में, मजदूर बहुत दर्द सहता है! एक धनवान व्यक्ति, उसकी मजदूरी को ज्यादा समझते हुए पैसे देना में आनाकानी करता है मगर शराब और जुए में लाखों गँवा देता है! सच में हालात अच्छे नहीं हैं!"
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