♥♥♥♥♥♥♥माँ( अनमोल चरित्र ) ♥♥♥♥♥♥♥♥♥
"सुगंधों से सुगन्धित ये, मेरे जीवन की क्यारी है!
हमारे साथ में चन्दन भरी, माता हमारी हैं!
ना कोई भय, ना कोई विचलनों की धारणा होती,
सुखद आशीष माता का, बने शक्ति हमारी है!
मेरी आशा, निराशा में कभी होने नहीं देती!
मुझे वो अन्न से वंचित, कभी सोने नहीं देती!
मेरे जीवन की विचलित नाव, उसने घाट तारी है!
सुगंधों से सुगन्धित ये, मेरे जीवन की क्यारी है......
हमे माँ सत्य वचनों का, सदा ही ज्ञान देती है!
कभी ना शीश हो नीचा, वो स्वाभिमान देती है!
माँ हमको लक्ष्य के पथ से, कभी डिगने नहीं देती,
हमारे मन से अल्पित सोच को, अवसान देती है!
दुखों की धूप में हमको, कभी जलने नहीं देती!
हमारी माँ कभी हमको, गलत करने नहीं देती!
मेरे मन की भी दूषित सोच की, रेखा सुधारी है!
सुगंधों से सुगन्धित ये, मेरे जीवन की क्यारी है......
नहीं वंदन की भूखी है, उसे सम्मान बस दे दो!
वो मेरी माँ है सबके सामने पहचान ये दे दो!
नहीं माता के जीवन को कभी तुम वेदना देना,
नहीं पग में रखो उनको, जरा उत्थान तुम दे दो!
वो जिनकी माँ दुखी होती हैं, उनको हर्ष ना मिलता!
नहीं चन्दन तिलक होता, नहीं प्रसून है खिलता!
बड़ी अनमोल है ममता, सभी रिश्तों पे भारी है!
सुगंधों से सुगन्धित ये, मेरे जीवन की क्यारी है!".
"माँ, अनमोल तो है ही, अतुलनीय भी है! माँ का कोई विकल्प नहीं होता!
आइये माँ की ममता का सम्मान करते हुए उन्हें उत्थान दें, सम्मान दें, पहचान दें- चेतन रामकिशन "देव"
"सुगंधों से सुगन्धित ये, मेरे जीवन की क्यारी है!
हमारे साथ में चन्दन भरी, माता हमारी हैं!
ना कोई भय, ना कोई विचलनों की धारणा होती,
सुखद आशीष माता का, बने शक्ति हमारी है!
मेरी आशा, निराशा में कभी होने नहीं देती!
मुझे वो अन्न से वंचित, कभी सोने नहीं देती!
मेरे जीवन की विचलित नाव, उसने घाट तारी है!
सुगंधों से सुगन्धित ये, मेरे जीवन की क्यारी है......
हमे माँ सत्य वचनों का, सदा ही ज्ञान देती है!
कभी ना शीश हो नीचा, वो स्वाभिमान देती है!
माँ हमको लक्ष्य के पथ से, कभी डिगने नहीं देती,
हमारे मन से अल्पित सोच को, अवसान देती है!
दुखों की धूप में हमको, कभी जलने नहीं देती!
हमारी माँ कभी हमको, गलत करने नहीं देती!
मेरे मन की भी दूषित सोच की, रेखा सुधारी है!
सुगंधों से सुगन्धित ये, मेरे जीवन की क्यारी है......
नहीं वंदन की भूखी है, उसे सम्मान बस दे दो!
वो मेरी माँ है सबके सामने पहचान ये दे दो!
नहीं माता के जीवन को कभी तुम वेदना देना,
नहीं पग में रखो उनको, जरा उत्थान तुम दे दो!
वो जिनकी माँ दुखी होती हैं, उनको हर्ष ना मिलता!
नहीं चन्दन तिलक होता, नहीं प्रसून है खिलता!
बड़ी अनमोल है ममता, सभी रिश्तों पे भारी है!
सुगंधों से सुगन्धित ये, मेरे जीवन की क्यारी है!".
"माँ, अनमोल तो है ही, अतुलनीय भी है! माँ का कोई विकल्प नहीं होता!
आइये माँ की ममता का सम्मान करते हुए उन्हें उत्थान दें, सम्मान दें, पहचान दें- चेतन रामकिशन "देव"
4 comments:
आप का बलाँग मूझे पढ कर अच्छा लगा , मैं भी एक बलाँग खोली हू
लिकं हैhttp://sarapyar.blogspot.com/
http://charchamanch.blogspot.com/
शुक्रवार : चर्चा मंच - 576
जानते क्या ? एक रचना है यहाँ पर |
खोजिये, क्या आपका सम्बन्ध इससे ??
नहीं माता के जीवन को कभी तुम वेदना देना सौदेश्य पथ -प्रदर्शक रचना .
बहुत सुंदर, क्या कहने.. शायर वशीर बद्र की एक लाइन याद आ रही है
मां मेरे गुनाहों को कुछ इस तरह से धो देती है,
जब वो बहुत गुस्से में होती है तो रो देती है।।
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