Saturday, 16 July 2011

♥फिर दहली मुंबई ♥♥♥

♥♥♥♥♥♥♥♥♥फिर दहली मुंबई ♥♥♥♥♥♥♥
ये मुंबई फिर से दहली है, बही है रक्त की धारा!
हुआ स्तब्ध है मानव, हुआ नम देश ये सारा!
यहाँ तो फूटते रहते हैं, अक्सर आग के गोले,
मगर सत्ता के भक्षक राख से, बनते ना अंगारा!

ये सत्ताधारी इन हमलो की, पीड़ा भूल जाते हैं!
कभी हमलो पे अंकुश को, नहीं बीड़ा उठाते हैं!

हुयी आतंक की जय है, अहिंसा गान है हारा!
ये मुंबई फिर से दहली है, बही है रक्त की धारा.....

यहाँ हमलों के दोषी भी, सुखद मेहमान से रहते!
नहीं हो सकता है उनका कुछ, इसी अभिमान में रहते!
अनेको बार इस भारत ने, ऐसे द्रश्य देखे हैं,
मगर सत्ता के भक्षक, जानकर अंजान हैं रहते!

इसी कमजोरी से आतंक, की हरियाली खिलती है!
कभी मुंबई, कभी दिल्ली,इसी अग्नि में जलती है!

मगर घटनाओं से नेता, सबक ना लेते दोबारा!
ये मुंबई फिर से दहली है, बही है रक्त की धारा.....

मधुर और प्रेम की भाषा, रटाना छोड़ना होगा!
हमे साहस से इनके व्यूह को अब तोड़ना होगा!
नहीं जागे यदि तुम "देव", तो दोहराव आएगा,
हमे इनकी तरफ शस्त्रों का, रुख अब मोड़ना होगा!

इन हमलों की वंशज, देश की कमजोर नीति है!
नहीं है देश की चिंता, वो दलगत राजनीती है!

चलो अब आग में तपकर के, हम बन जायें अंगारा!
ये मुंबई फिर से दहली है, बही है रक्त की धारा!"

"मुंबई में आतंकी हमले में मारे गए लोगों की, आत्मा की शांति की कामना करते हुए,
ऐसे नेताओं को धक्का दें, जो सियासत के लिए इस खून को भी नहीं देखते हैं!-चेतन रामकिशन "देव"

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