Saturday, 16 July 2011

♥♥सावन (हरियाली और मिलन )♥♥

♥♥♥♥♥♥♥♥♥सावन (हरियाली और मिलन )♥♥♥♥♥♥
"है फूलों पे नया यौवन, मधु वर्षा ने बिखराया!
है वायु में भी शीतलता, सरस वातावरण छाया!
चलो स्वागत करें मिलके,सभी प्रकृति के प्रेमी,
मिलन भावों से पूरित होके, सावन मास है आया!

 मयूरा नृत्य में मगनित, भ्रमर रसपान करता है!
 मिलन संयोग देता है, विरह अवसान करता है!

नए पोधे के जीवन का, नया अंकुर भी उग आया!
मिलन भावों से पूरित होके, सावन मास है आया...........

इसी सावन में झूला, झूलने की रीत होती है!
सखी के मन में, एक दूजे से गहरी प्रीत होती है!
ना कोई दोष होता है, ना कोई वर्ग का दर्पण,
सभी की छाया एक जैसी, सरल प्रतीत होती है!

सुमन से गंध ले तितली, कोयल गान करती है!
सरिता भी उमड़ करके, इसे प्रणाम करती है!

सुखद सावन के गीतों का, नया सूरज भी उग आया!
मिलन भावों से पूरित होके, श्रावण मास है आया.......

धरा भी मुस्कुराती है, गगन भी हर्ष में होता!
ये सावन और मौसम से, सदा उत्कर्ष में होता!
मधुर सावन के आनंदों से होते"देव" भी हर्षित,
इस सावन का हर छण,प्रेम के निष्कर्ष में होता!

सरस सावन में रंगों का, धनुष उत्पन्न होता है!
नहीं होता कोई अवसाद, मन प्रसन्न होता है!

धवल सी चांदनी लेके, धवल चंदा भी जग आया!
मिलन भावों से पूरित होके, श्रावण मास है आया!"


"प्रकृति, अनमोल है! वो सुखद और सुरीले छण हमे प्रदान करती है! प्रकृति की एक कड़ी का मौसम, सावन भी है! चारों और हरियाली का सुखद द्रश्य, आकाश में बनने वाले इन्द्रधनुष, मयूरा का नृत्य, मिलन की सुखद अनुभूति, नए अंकुरों का विकास- आइये सावन का स्वागत करें!-चेतन रामकिशन"देव"

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