♥♥♥♥♥♥♥♥♥तुम्हारा प्रेम..... ♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
तुम्हारा नाम मुझको प्रेम का उपनाम लगता है!
तुम्हारी वाणी में कोयल का, मीठा गान लगता है!
सरल व्यवहार कि स्वामी, सरस अनुभूति के दर्शन,
नहीं मिलती कभी पीड़ा, सुखद अभिराम लगता है!
नहीं मिलती यदि तुम प्रेम का अनुभूत ना होता!
तेरे उद्गार सुनकर मन मेरा, अभिभूत ना होता!
तुम्हारा प्रेम साहसपूर्ण, उर्जावान लगता है!
तुम्हारा नाम मुझको प्रेम का उपनाम लगता है....
तुम्हारे प्रेम में निंदक विचारों से मिली मुक्ति!
तुम्हारा प्रेम देता है, हमे संघर्ष की युक्ति!
तुम्हारे प्रेम ने हमको सदा, सच्चाई ही दी है,
तुम्हारे प्रेम ने प्रदान की, मिथ्या से भी मुक्ति!
नहीं मिलती यदि तुम, प्रेम का संचार ना होता!
मेरे कंधे पे जिम्मेदारी का, अनुभार ना होता!
है तुममे रूप ईश्वर का, यही अनुमान लगता है!
तुम्हारा नाम मुझको प्रेम का उपनाम लगता है....
तुम्हारा प्रेम चिंतन में, सुखद प्रभाव रखता है!
नहीं हिंसा का दर्शन है, सदा सदभाव रखता है!
तुम्हारे प्रेम में हम "देव" के समतुल्य हो जाते,
तुम्हारा प्रेम अपनेपन का, ऐसा भाव रखता है!
नहीं मिलती यदि तुम, प्रेम का गुण गान ना होता!
मेरे जीवन से दूषित सोच का, अवसान ना होता!
तुम्हारा प्रेम आशा से भरा, आहवान लगता है!
तुम्हारा नाम मुझको प्रेम का उपनाम लगता है!"
"शुद्ध प्रेम, व्यक्ति की मनोदशा को परिवर्तित करता है! शुद्ध प्रेम, व्यक्ति के मन से, दूषित सोच और विकारों की समाप्ति करते हुए, साहस के साथ, चिंतन, मनन और संघर्ष की सोच प्रदान करता है! तो आइये इसी सोच के साथ शुद्ध प्रेम करें-चेतन रामकिशन "देव"
No comments:
Post a Comment