Monday 8 August 2011

♥प्रेम( एक निरोगी भावना)♥♥


♥♥♥♥♥♥♥♥♥प्रेम( एक निरोगी भावना)♥♥♥♥♥♥♥
"प्रेम
का न प्रमाण है कोई, न कोई प्रयोग!
प्रेम,
चिकित्सा का रूपक है, है न कोई रोग!
प्रेम,
न कोई दुरित भावना, न लालच की रीत,
प्रेम,
वासना से उठकर है, न है कोई भोग!

प्रेम तिमिर को दूर भगाता, ऐसा है प्रदीप!
प्रेम भावना होती है तो घर घर जलते दीप!

प्रेम नहीं तो मानव जीवन, केवल रहे अधूरा!
प्रेम सजाता है रंगों से, नाचे मगन मयूरा!

प्रेम,
भावना सदभावों की, न हिंसा का योग!
प्रेम
का न प्रमाण है कोई, न कोई प्रयोग!"


"तो आइये प्रेम के रंगों से जीवन को सजायें, क्यूंकि अकेले प्रेम से ही जात, धर्म, हिंसा जैसे अनेको दुरित विचार समाप्त हो जाते हैं! प्रेम के साथ रहें-चेतन रामकिशन "देव"



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