Monday, 8 August 2011

♥नारी(शक्ति पुंज) ♥♥


♥♥♥♥♥♥♥♥♥नारी(शक्ति पुंज) ♥♥♥♥♥♥♥
"शक्ति का एक पुंज नारी, दीप का प्रकाश है वो!
आस्था की भावना है, फूल का अधिवास है वो!
ना चरण की धूल है वो, रेत की भूमि नहीं,
साहसी है, निष्कपट है, सत्य का आभास है वो!

नारी बनके संगिनी, प्रेम का उपहार दे!
खुद करे पीड़ा सहन, हर्ष का व्यवहार दे!

वो रचित करती सफलता, जीत का इतिहास है वो!
शक्ति का एक पुंज नारी, दीप का प्रकाश है वो....

नारी का मन गंगाजल सा, होता नहीं विकार!
माँ बनकर के नारी देती, मधु सा मीठा प्यार!
नारी हमको देती साहस, हमको दिशा दिखाए,
नारी करती  है जीवन में, उर्जा का संचार!

नारी पुत्री रूप रचकर, हर्ष का श्रंगार दे!
वो बहन के रूप आकर, मित्रता का सार दे!

जाग्रत करती हैं चिंतन, हार का अवकाश है वो!
शक्ति का एक पुंज नारी, दीप का प्रकाश है वो....

नारी न पूजन की भूखी, वो रखती सम्मान की आशा!
नारी न वंदन की भूखी, उसको दे दो मीठी भाषा!
"देव" नहीं वो धन की भूखी, न ही उसकी सोच कलुषित,
नारी केवल ये चाहती है, भेद रहित बस हो परिभाषा!

नारी है निर्माता किन्तु, फिर भी वो आभार दे!
वो करे सम्मान सबको, वो सदा सत्कार दे!




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