"♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ तेरा प्यार ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥
ख़ुशी बहुत होती है हमदम पाकर तेरा प्यार!
नील गगन में उड़ता हूँ मैं अब तो पंख पसार!
धूप हो कितनी तेज मगर अब जलन नहीं होती,
प्रेम तेरा गिरता है मुझपर बनकर मधुर फुहार!
जब से तूने मुझे लगाया प्यार का सुन्दर रंग!
जीवन में आयीं हैं खुशियाँ पाकर तेरा संग!
तूने मेरे गिरते पग को दिया है एक आधार!
ख़ुशी बहुत होती है हमदम पाकर तेरा प्यार....
हमदम तेरे प्रेम से सीखा सच्चाई का ज्ञान!
तेरे प्रेम में भूल गया हूँ क्या होता अभिमान!
तुमने उर्जा दी है मन को, होठों पे मुस्कान,
प्रेम बिना मानव सूना है, आज लिया ये जान!
तेरा प्यार है गंगाजल सा, पावन और पुनीत!
साथ हमेशा रहना साथी बनकर मेरे मीत!
भूख से व्याकुल होता हूँ तो देती तू आहार!
ख़ुशी बहुत होती है हमदम पाकर तेरा प्यार....
प्रेम जगाये मन मंदिर में मानवता के भाव!
प्रेम दवा से पहले भरता, हर एक गहरा घाव!
प्रेम तुम्हारा पाकर के है "देव" बड़ा हर्षित,
तुमने मुझको सरल बनाया देकर के सदभाव!
तेरे प्यार की बजती मेरे मन में मधुर तरंग!
तेरे प्यार में भूल गया हूँ नीरसता के ढंग!
महक रहा तेरी खुश्बू से, मेरा ये घरवार!
ख़ुशी बहुत होती है हमदम पाकर तेरा प्यार!"
"जहाँ शुद्ध प्रेम होता है, वहां अपनत्व होता है! उर्जा होती है, साहस होता है, उड़ने को होंसला होता है, स्वाभिमान, कोमलता, सदभाव होता है! तो आइये इन सब को अपनाने के लिए शुद्ध प्रेम करैं- चेतन रामकिशन "देव"
ख़ुशी बहुत होती है हमदम पाकर तेरा प्यार!
नील गगन में उड़ता हूँ मैं अब तो पंख पसार!
धूप हो कितनी तेज मगर अब जलन नहीं होती,
प्रेम तेरा गिरता है मुझपर बनकर मधुर फुहार!
जब से तूने मुझे लगाया प्यार का सुन्दर रंग!
जीवन में आयीं हैं खुशियाँ पाकर तेरा संग!
तूने मेरे गिरते पग को दिया है एक आधार!
ख़ुशी बहुत होती है हमदम पाकर तेरा प्यार....
हमदम तेरे प्रेम से सीखा सच्चाई का ज्ञान!
तेरे प्रेम में भूल गया हूँ क्या होता अभिमान!
तुमने उर्जा दी है मन को, होठों पे मुस्कान,
प्रेम बिना मानव सूना है, आज लिया ये जान!
तेरा प्यार है गंगाजल सा, पावन और पुनीत!
साथ हमेशा रहना साथी बनकर मेरे मीत!
भूख से व्याकुल होता हूँ तो देती तू आहार!
ख़ुशी बहुत होती है हमदम पाकर तेरा प्यार....
प्रेम जगाये मन मंदिर में मानवता के भाव!
प्रेम दवा से पहले भरता, हर एक गहरा घाव!
प्रेम तुम्हारा पाकर के है "देव" बड़ा हर्षित,
तुमने मुझको सरल बनाया देकर के सदभाव!
तेरे प्यार की बजती मेरे मन में मधुर तरंग!
तेरे प्यार में भूल गया हूँ नीरसता के ढंग!
महक रहा तेरी खुश्बू से, मेरा ये घरवार!
ख़ुशी बहुत होती है हमदम पाकर तेरा प्यार!"
"जहाँ शुद्ध प्रेम होता है, वहां अपनत्व होता है! उर्जा होती है, साहस होता है, उड़ने को होंसला होता है, स्वाभिमान, कोमलता, सदभाव होता है! तो आइये इन सब को अपनाने के लिए शुद्ध प्रेम करैं- चेतन रामकिशन "देव"
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