Thursday 17 November 2011

♥♥धुंधली चांदनी ♥♥


"♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥धुंधली चांदनी ♥♥♥♥♥♥♥♥♥
सुबह की लाल किरणें हों या रात की हो चांदनी!
बिन तेरे ए सनम मेरे, धुंधली है हर एक रोशनी!
ये जहाँ तुम बिन अधूरा लग रहा है रात-दिन,
लौट आओ फिर सनम तुम, दूर कर दो हर कमी!

घर का हर कोना है सूना, बिन तेरी आवाज के!
कल के सपने भी हैं टूटे, टूटे सपने आज के!

तेरे बिन हर एक ख़ुशी है, घर के बाहर ही थमी!
सुबह की लाल किरणें हों या रात की हो चांदनी..............

कोई धुन मन को न भाए, तेरी पायल के सिवा!
चल रहीं हैं आँधियां पर, लग रही चुप चुप हवा!
अब दवायें कम न करतीं, मेरी पीड़ा की तड़प,
तेरे हाथों के छुअन बिन, बेअसर है हर दवा!

जिंदगी लगती है सूनी, बिन तुम्हारे साथ के!
उंगलिया भी आना चाहें, पास तेरे हाथ के!

बिन तेरे ना हैं सुहाते, चाँद, तारे और जमीं!
सुबह की लाल किरणें हों या रात की हो चांदनी..............

तुम न जाने क्यूँ गए हो, तोड़के हर एक कसम!
एक पल भी क्या तुम्हें हम, याद न आए सनम!
"देव" तेरे बिन जहाँ में, बस तिमिर की छांव है,
बिन तेरे जीवन अधूरा, है अधूरा ये जनम!

तेरे बिन बेजान लगते, शब्द भी और सार भी!
मन भी मेरा रो रहा है, टूटे दिल के तार भी!

बिन तुम्हारे रहती है इन, आँखों में हर दम नमी!
सुबह की लाल किरणें हों या रात की हो चांदनी!"


"किसी अपने के जीवन से चले जाने से, जीवन का पक्ष निश्चित रूप से प्रभावित होता है! व्यक्ति, जीवित रहते हुए भी अकेला रहता है और हतौत्साहित रहता है! उसके जीवन का अकेलापन उसके साहस को कुरेदता है! तो आइये किसी के जीवन से जाने से पहले सोचें--------चेतन रामकिशन "देव"



2 comments:

Dr.NISHA MAHARANA said...

तुम न जाने क्यूँ गए हो, तोड़के हर एक कसम!
एक पल भी क्या तुम्हें हम, याद न आए सनम!
"देव" तेरे बिन जहाँ में, बस तिमिर की छांव है,
बिन तेरे जीवन अधूरा, है अधूरा ये जनम!very lovely.

chetan ramkishan "dev" said...

NISHA MAHARANA ji-ह्रदय की गहराईयों से आपका
बहुत बहुत धन्यवाद!