"♥♥♥♥♥♥♥♥आंसुओं की फुहार कर के♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
किया है तन्हा हमें उन्होंने, हमारी उल्फत को मार कर के!
हमे रुलाके चले गए वो, भुला दिया हमको प्यार कर के!
कहाँ गईं वो कसम वफ़ा की, मिलन के वादे कहाँ गए हैं,
चले गए हैं यहाँ से हंसकर, वो आंसुओं की फुहार कर के!"
..........चेतन रामकिशन "देव"....
3 comments:
कहाँ गईं वो कसम वफ़ा की, मिलन के वादे कहाँ गए हैं,vah.
NISHA MAHARANA ji-ह्रदय की गहराईयों से आपका
बहुत बहुत धन्यवाद!
प्रेम के वादे क्षणिक होते है. प्रेम में वादे केवल क्षणिक अनद के लिए है. जब कोई प्रेम में डूब जायेगा तो न वादे होंगे न सिक्वे होंगे न तन्हाई होगी . होगी तो कवक प्रेम होगा . अत्तयंत सुंदर.
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