"♥♥♥♥♥♥विकलांगो को नमन ♥♥♥♥♥♥♥♥
हैं बेशक अंग उनके भंग, पर इन्सान हैं वो भी!
लहू भी लाल है उनका, मनुज पहचान हैं वो भी!
करो उपहास न इनका, बनो सहयोगी तुम इनके,
नहीं हैं जानवर कोई, मनुज संतान हैं वो भी!"
....राष्ट्रीय विकलांग दिवस पर
ये पंक्तियाँ सभी विकलांग बंधुओं को समर्पित करता हूँ! विकलांग नहीं चाहता की उसकी वंदना हो,
पर वो नहीं चाहता की उसका उपहास हो! तो आइये विकलांग जनों का भी सम्मान करें!
चेतन रामकिशन "देव"
दिनांक---०३.१२.२०१२
3 comments:
करो उपहास न इनका, बनो सहयोगी तुम इनके,bahut badhiya.
बहुत बहुत धन्यवाद
निशा जी
कलम का बेहतर उपयोग
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