Sunday, 11 December 2011

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मन में न अभिमान के अंकुर उगाइए!
अपने से छोटों को भी गले से लगाइए!
जाने के बाद भी जो करे याद ये जहाँ,
तुम नम्रता के तेल से दीपक जलाइए!"
---"शुभ-दिन"----चेतन रामकिशन "देव"---

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