♥♥♥♥♥♥♥♥अपना ध्वज तिरंगा.. ♥♥♥♥♥♥
लहर रहा है शान से देखो, अपना ध्वज तिरंगा!
भारत माँ के चरण धो रही, निर्मल पावन गंगा!
आओ बनें हम गाँधी जैसे, सत्य, अहिंसा दूत!
भारत माँ के बनें चलो हम, सच्चे नेक सपूत!
आओ मिटा दें अपने मन मैले दुरित विचार,
बाबा भीमराव के जैसे हम, दूर करें सब छूत!
मन से मैली काई धोकर, मन को कर ले चंगा!
लहर रहा है शान से देखो, अपना ध्वज तिरंगा....
इस दिन को तुम भूले से भी, रस्म का न दो नाम!
इस दिवस की आकांक्षा में, मिट गए वीर जवान!
देश को इस मंजिल पे लाना, सरल नहीं था काम,
वीर-शहीदों का है इसमें, तप, जप और बलिदान!
अपने हित में न करना तुम भारत का तन नंगा!
लहर रहा है शान से देखो, अपना ध्वज तिरंगा......
आओ करें वीरों की खातिर, फूलों की बौछार!
यही वीर वंदन,चंदन और स्वागत के हकदार!
देश नहीं होता वीरों बिन, "देव" नहीं आजाद,
कभी न बन पाता जग में, भारत का किरदार!
अपने हित में न करना तुम भारत का तन नंगा!
लहर रहा है शान से देखो, अपना ध्वज तिरंगा...."
"गणतंत्र दिवस, मात्र कोई रस्म नहीं है! जो लोग इसे रस्म समझते हैं या बनाते हैं वो उन शहीदों के सम्मान को ठेस पहुंचाते हैं! ये दिन संकल्प का दिन है! इस दिन देश हित, समाज हित के लिए मन में कोई संकल्प लीजिये!"
चेतन रामकिशन "देव"
दिनांक---२६.०१.२०१२
सर्वाधिकार सुरक्षित
ये रचना मेरे ब्लॉग पर पूर्व प्रकाशित!
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