Thursday 22 March 2012

♥♥प्रेम-योग्यता..♥♥


♥♥♥♥♥♥♥♥प्रेम-योग्यता..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
या तो प्रेम के नियमों का मैं पालन करने योग्य नहीं था!
या फिर स्तर और तुलना में, आपके मैं सुयोग्य नहीं था!

किन्तु मेरे निवेदन की तो, लाज आपको रख लेनी थी!
इस भिक्षुक की खाली झोली, प्रेम से अपने भर देनी थी!
प्रेमरहित जीवनधारा में,क्या धन,क्या सोना,क्या चांदी,
व्याकुलता को मेरी समझकर, प्रेम की वर्षा कर देनी थी!

मैं प्रेम आत्मा से करता था, प्रेम हमारा भोग्य नहीं था!
या तो प्रेम के नियमों का मैं पालन करने योग्य नहीं था!"
.....................चेतन रामकिशन "देव"..........................
" कभी कभी जीवन में ऐसे पल आते हैं, कोई किसी के प्रेम निवेदन को समझता नहीं, जबकि द्वितीय पक्ष की प्रेम सहमति प्रथम पक्ष को अत्यंत हर्ष दे सकती है, परन्तु ऐसा प्राय: नहीं होता और एक व्यक्ति पीड़ित हो जाता है! उस पीड़ा को अपने शब्दों में उकरने भर की कोशिश की है! "

सर्वाधिकार सुरक्षित!

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