♥♥♥♥कुछ तो..♥♥♥♥♥
कुछ तो खोया खोया सा है!
मन भी रोया रोया सा है!
क्यूँ अपने आंसू से मैंने,
चेहरा धोया धोया सा है!
सड़कों की फुटपाथों पर जब,
नंगे भूखे तन दिखते हैं!
भारत में ही जन्मे जब वो,
खद्दरधारी जन बिकते हैं!
देश का कृषक भूख के कारण,
जब फांसी पर चढ़ जाता है!
तब तब ही मेरी आँखों से,
बरबस आंसू बह जाता है!
लोगों ने भी बीज द्वेष का,
मन में बोया बोया सा है!
कुछ तो खोया खोया सा है!
मन भी रोया रोया सा है!"
...."शुभ-दिन"..चेतन रामकिशन "देव"
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