♥♥♥श्रंगार अधूरा..♥♥
शब्दों का श्रंगार अधूरा,
तुम बिन ये संसार अधूरा!
दूर गए हो जबसे हमदम,
तब से है दीदार अधूरा!
तुम बिन आंगन सूना लगता,
चौखट पर ख़ामोशी पसरी!
तुम बिन कंगना चूड़ी चुप हैं,
आँखों को न भाए कजरी!
जिस दिन से परदेस गए हो,
तब से है घर-वार अधूरा!"
.....चेतन रामकिशन "देव"......
शब्दों का श्रंगार अधूरा,
तुम बिन ये संसार अधूरा!
दूर गए हो जबसे हमदम,
तब से है दीदार अधूरा!
तुम बिन आंगन सूना लगता,
चौखट पर ख़ामोशी पसरी!
तुम बिन कंगना चूड़ी चुप हैं,
आँखों को न भाए कजरी!
जिस दिन से परदेस गए हो,
तब से है घर-वार अधूरा!"
.....चेतन रामकिशन "देव"......
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