Tuesday, 31 July 2012

♥खामोशी की जुबान..♥

♥♥♥♥♥♥♥♥♥खामोशी की जुबान..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
खामोशी की लक्ष्मण रेखा, बीच खिंची है हम दोनों के,
लेकिन फिर भी आँखों से ही, एक दूजे की बात हुई!

नाम पढ़ा कई बार उसी का, और उसे देखा पलकों में,
बस उसको ही सोच सोच कर, शाम से लेकर रात हुई!

उनसे मिले बिना जीवन में, रहती थी तन्हाई लेकिन,
उनकी नजदीकी से देखो, खुशियों की बरसात हुई!

खिला खिला है मेरा चेहरा, उसकी चाहत के रंगों से,
लोग समझते मेरे संग में, कौनसी ये करामात हुई!

"देव" मैं उनकी अपनायत को, पाकर मालामाल हुआ हूँ,
वही हमारी दौलत, शोहरत, वही मेरी सौगात हुई!"

......................चेतन रामकिशन "देव"......................

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