♥♥♥♥♥♥♥♥सावन की सुगंध..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
ये सावन का महीना, सौंधी खुश्बू ले के आया है!
है फूलों पर चढ़ा यौवन, भ्रमर भी मुस्कुराया है!
हवा भी शीत है मनमीत, मौसम भी सुहाना है!
हमे मन का, हमे रूह का, मिलन दिल का कराना है!
इन्ही बूंदों की रिमझिम में, मयूरा नृत्य करता है,
हमे भी प्यार का नगमा, सखी जी गुनगुनाना है!
है बिखरा प्यार का अहसास, हर दिल खिलखिलाया है!
ये सावन का महीना, सौंधी खुश्बू ले के आया है....
सखी शाखों पे देखो, कोकिला भी गीत गाती है!
ये देखो बूंद बारिश की, सखी मन को लुभाती है!
तुम्हारी ओढ़नी पर जो, कढ़े हैं फूल रेशम से,
सखी उनमे भी सावन की घटा से जान आती है!
सखी सावन ने सूखी धरती में अंकुर उगाया है!
ये सावन का महीना, सौंधी खुश्बू ले के आया है....
सखी प्रकृति के सम्मुख चलो अब सर झुकाते हैं!
इसी प्रकृति की कृपा से, हम सब खिलखिलाते हैं!
ए प्रभुवर प्रकृति से, है मेरी इक और अभिलाषा,
हंसी उनकी भी खिल जाए, जो बस आंसू बहाते हैं!
सुनो ए "देव" सावन ने, मेरा चिंतन जगाया है!
ये सावन का महीना, सौंधी खुश्बू ले के आया है!"
"
सावन का महीना, जब भी आता है, प्रेम के रंग-बिरंगे शब्दों से, आकाश के पटल पर इन्द्रधनुष की रचना होने लगती है! बारिश की बूंद सूखी धरती पे अंचल पर जब गिरती है तो सौंधी खुश्बू से वातावरण सुगन्धित हो जाता है! प्रेमालाप होता है, प्रकृति सावन की बूंदों से धुलकर यौवन पूर्ण हो जाती है! अपने इन टूटे-फूटे शब्दों से, सावन का स्वागत करने का प्रयास भर किया है!"
चेतन रामकिशन "देव"
दिनांक-११.०७.२०१२
No comments:
Post a Comment