Wednesday, 12 September 2012

♥♥आशा की मुस्कान♥♥
आशा की मुस्कान सजाकर,
अपने मन से तिमिर मिटाकर,
तोड़के बंधन जात धर्म के,
एक दूजे को गले लगाकर!

इक मानव जब इस नीति पर, अपना जीवन यापन करता!
मानवता के पाठ का वो जब, दुनिया में अध्यापन करता!

तब तब देखो मानवता का,
स्तर फिर से बढ़ जाता है!
संबंधों के आभूषण पर,
रंग नेह का चढ़ जाता है!

हिंसा की दीवार गिराकर,
लालच का हर दीप बुझाकर,
आओ चलो जीते हैं जीवन,
मानवता के फूल खिलाकर!"


चेतन रामकिशन "देव"
दिनांक-१२.०९.२०१२ 

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