Thursday, 27 September 2012


♥♥♥♥♥♥♥♥♥जीवन की चौखट.♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
जीवन की चौखट पर देखो, नया दिवस फिर से आया!
बाग़ में कोयल गीत सुनाये, और सूरज भी मुस्काया!

मन में आशा की बूंदे भर, जीवन को ताजा करना है!
न निंदा, उपहास किसी का, हमको जीवन में करना है!
हमको जीवन में रहना है, सच्चा और सरल बनकर के,
सच्चाई के संग जीना है, सच्चाई के संग मरना है!

ओस की बूंदों से धरती में, नव अंकुर भी उग आया!
जीवन की चौखट पर देखो, नया दिवस फिर से आया!"
................चेतन रामकिशन "देव"........................

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