♥♥♥♥♥♥प्यार की दरकार..♥♥♥♥♥
मेरे नसीब में तुम्हारा प्यार नहीं है!
या तुमको मेरे प्यार की दरकार नहीं है!
अश्कों से धोके मैंने निखारा है ये चेहरा,
मेरे चेहरे पे देखो कोई, श्रंगार नहीं है!
मैं कैसे काटूं आदमी को जानवर समझ,
मेरे हाथ में कोई मजहबी तलवार नहीं है!
ए दोस्त मैंने फिर से अपने दिल को संवारा,
अब दिल का कोई टूटा हुआ तार नहीं है!
आओ के "देव" चलते हैं, आकाश की तरफ,
जिस राह पे कोई मजहबी दीवार नहीं है!"
..........(चेतन रामकिशन "देव")...............
No comments:
Post a Comment