" आवाज मेरे मन की " " Voice of My Mind "
Thursday 11 October 2012
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दूर हो मुझसे मगर पास नजर आती हो!
रात में ख्वाब की तरह से मचल जाती हो!
जब भी होता है अँधेरा मेरे जीवन पथ में,
चांदनी बनके चंहुओर तुम खिल जाती हो!"
..........चेतन रामकिशन "देव"...........
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