Thursday, 11 October 2012


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बंद आँखों से न ख्वाबों का नजारा देखो!
उतरो सागर में नहीं सिर्फ किनारा देखो!

तुमको पानी है जो, जीवन में बुलंदी अपने,
करो मेहनत नहीं किस्मत का सितारा देखो!

जिंदगी है तो यहाँ दुख भी और सुख भी हैं,
बिना दुख के नहीं, जीवन का गुजारा देखो!

मुल्क में छूट भी मिलती है बस अमीरों को,
कोई बनता नहीं, मुफलिस का सहारा देखो!

मिट रहे रिश्ते "देव", चंद रुपयों की खातिर,
बाप को बेटे ने, बेदर्दी से मारा देखो!"

................चेतन रामकिशन "देव".............


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