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आज उन्हीं लोगों ने हमसे, दूरी बहुत बना ली देखो,
जो हमसे कहते थे अपना, सात जनम तक का रिश्ता है!
घर में गर बेटी जन्मे तो, सबके चेहरे मुरझा जाते,
और अगर बेटा जन्मे तो, लगता कोई फरिश्ता है!
चंद रुपयों की खातिर देखो, होता कत्लेआम यहाँ पर,
मानो पानी से ज्यादा तो, खून यहाँ पर सस्ता है!
देश के दौलत वाले बेशक, छु लें अम्बर, आसमान को,
लेकिन "देव" करोड़ों की तो, आज भी हालत खस्ता है!"
.................चेतन रामकिशन "देव".......................
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