Monday 15 October 2012


♥♥♥♥♥♥♥न ही देखा माँ दुर्गे को..♥♥♥♥♥♥♥♥
न ही देखा माँ दुर्गे को, न देखा माँ सरस्वती को!
न लक्ष्मी को देखा मैंने, न ही देखा शैल छवि को!

अपनी दोनों माताओं में, पर इनके दर्शन होते हैं!
देवी शक्ति के ह्रदय भी, माँ जैसे कोमल होते हैं!

देवी जैसे सुन्दर करतीं, दोनों माता मेरी मति को!
न ही देखा माँ दुर्गे को, न देखा माँ सरस्वती को!"
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चेतन रामकिशन "देव"
दिनांक-१६.१०.२०१२ 


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नवरात्रि के पवित्र दिवसों की बेला पर अपनी दोनों माताओं( माँ कमला देवी और माँ प्रेमलता जी) को 


समर्पित पंक्तियाँ, मैंने माँ दुर्गे अथवा उनके रूप अपनी आँखों से भले नहीं देखे हों, किन्तु मुझे अपनी दोनों 

माताओं में उनकी छवि दिखती है! क्यूंकि माँ(नारी) होती हैं और नारी स्वयं देवी होती हैं"

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