Friday 9 November 2012

♥तुम ही कविता ♥


♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥तुम ही कविता ♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
तुम ही मेरी कविताओं का, परिचय हो, तुम्ही आशय हो!
तुम ही भावों की सुन्दरता, तुम्ही सरगम, तुम्ही लय हो!

तुम सूरज की किरणों जैसे, शब्दों में उर्जा भरती हो!
तुम चंदा की किरणों जैसे, शब्दों को उजला करती हो!
तुम गंगा के पानी जैसे, शब्दों को देकर शीतलता,
तुम शब्दों के अंत:कवच को, छूकर के धवला करती हो!

तुम ही दीपक, तुम ही बाती, एवं तुम ही ज्योतिर्मय हो!
तुम ही मेरी कविताओं का, परिचय हो, तुम ही आशय हो!"

.................. (चेतन रामकिशन "देव").........................

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