♥♥♥♥♥♥♥♥♥प्रेम भरा सहयोग♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
मिला है जब से सखी तुम्हारा, प्रेम भरा सहयोग!
मुख मंडल को तेज मिला है, मन भी हुआ निरोग!
नहीं प्रेम मैला होता है, न ही दूषित भाव!
निहित प्रेम में होते हर क्षण, अपनेपन के भाव!
जात-पात और धन दौलत से, नहीं प्रीत का मोल,
प्रेम की संपत्ति पाकर के, मिटते सभी अभाव!
प्रेम तो एक जीवन दर्शन है, नहीं विलासी भोग!
मिला है जब से सखी तुम्हारा, प्रेम भरा सहयोग!"
................ (चेतन रामकिशन "देव") ................
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