♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥खुशी की सौगात..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
अम्बर अपने चाँद से खुश है, धरती अपनी हरियाली से!
पानी खुश है सागर तल से, और उपवन अपने माली से!
मेरे जीवन को भी देखो, ख्वाब किसी के महकाते हैं!
उसके तौर तरीके मुझको, जीने का ढंग सिखलाते हैं!
मैंने उसकी तारीफों में, जब जब भी कुछ लिखना चाहा,
मेरे दिल के शब्द भी देखो, उसके सजदे झुक जाते हैं!
फूल तोड़कर देता है वो, खुद कांटे रखकर डाली से!
अम्बर अपने चाँद से खुश है, धरती अपनी हरियाली से!"
................ (चेतन रामकिशन "देव") .......................
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