Thursday, 15 November 2012

♥आशाओं का इन्द्रधनुष..♥


♥♥♥♥♥♥♥आशाओं का इन्द्रधनुष..♥♥♥♥♥♥
निराशा के घने बादल नहीं जीवन में छाने दो!
तुम अपने मन को सपनों की नई दुनिया सजाने दो!
बिना आशाओं के तो लक्ष्य भी होते हैं भूमिगत,
नहीं मुश्किल से डरकर, तुम इरादे डगमगाने दो!

ये दुनिया खुबसूरत है, ये जीवन भी बड़ा प्यारा!
गया एक बार जो जीवन, नहीं मिलता है दोबारा!

नहीं पथभ्रष्ट होकर अपनी उर्जा व्यर्थ जाने दो!
निराशा के घने बादल नहीं जीवन में छाने दो...

कभी आंखों पे पट्टी बांधकर निर्णय नहीं करना!
हताशा से कभी जीवन का तुम प्रणय नहीं करना!
ये मृत्यु आएगी सच है, सभी ये जानते भी हैं,
मगर मृत्यु की आहट से, कभी तुम भय नहीं करना!

नहीं जीवन को जीते जी हमे मृतक बनाना है!
दुखों के काल में भी हमको देखो मुस्कुराना है!

तुम अपने मन को आशा की नई सरगम सुनाने दो!
निराशा के घने बादल नहीं जीवन में छाने दो...

ये जीवन जंग जैसा है, यहाँ पर जय पराजय है!
कभी प्रसंग खुशियों का, कभी पीड़ा का आशय है!
सुनो तुम "देव" ये मानव का जीवन श्रेष्ठ है सबसे,
दुखों की दाह है किन्तु सुखों का भी जलाशय है!

कभी भूले से भी जीवन को, तुम संताप न समझो!
दुखद जीवन भी आए तो कभी तुम श्राप न समझो!

जगत में अपने जीवन को, जरा डटकर बिताने दो!
निराशा के घने बादल नहीं जीवन में छाने दो!"

"
जीवन -ये सच है कि, जीवन में समस्याओं, कठिनाइयों, परेशानियों का ज्वार भाटा आता है, दुखों की बेला आती है, किन्तु ये भी सच है कि, जीवन दुखों का भण्डार नहीं है! जीवन गतिशील है और गतिशीलता की अवस्था में ही ठोकर लगती हैं! जीवन, आशाओं के साथ जब यापन किया जाता है तो अभावों के पश्चात भी जीवन, प्रकृति का सबसे मधुर उपहार लगता है, तो आइये चिंतन करें...."

चेतन रामकिशन "देव"
दिनांक-१६.११.२०१२ 

सर्वाधिकार सुरक्षित!
रचना मेरे ब्लॉग पर पूर्व प्रकाशित!




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