♥♥♥प्रकृति का अलंकरण♥♥♥
तुम चंदा की धवल किरण हो!
प्रकृति का अलंकरण हो!
तुम जीवन की समृद्धि हो,
हर पीड़ा का निराकरण हो!
तुम कल कल बहती सरिता हो!
तुम चन्दन जैसी सुचिता हो!
तुम शब्दों की भावुक क्षमता,
तुम मेरे मन की कविता हो!
तुम ही भावों का विश्लेषण,
तुम ही कर्ता, तुम्ही करण हो!
तुम जीवन की समृद्धि हो,
हर पीड़ा का निराकरण हो!"
.......चेतन रामकिशन "देव".......
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