♥♥♥♥♥प्रेम-स्वप्न..♥♥♥♥♥
सपनों का एक महल बनाया,
उसमें तेरा चित्र सजाया!
सखी तुम्हारे दर्शन करके,
मेरा कोमल मन मुस्काया!
जब तुमको स्पर्श किया तो,
सखी लाज से तू भर आई!
अपने प्यारे नयन मूंदकर,
धीमे धीमे तू मुस्काई!
हम दोनों की अति-निकटता,
देखो बादल को भी भाई,
और वायु ने हर्षित होकर,
फूलों की खुशबु बिखराई!
हम दोनों का मिलन देखकर,
हरियाली पर यौवन आया!
सखी तुम्हारे दर्शन करके,
मेरा कोमल मन मुस्काया....
सखी तुम्हारे प्रेम की ज्योति,
मेरे मन को उज्जवल करती!
मेरी सोच को शुद्धित करके,
मेरे भाव को निश्छल करती!
सखी तुम्हारे अपनेपन से,
"देव" में उर्जा संचारित है,
सखी तुम्हारे प्रेम की शक्ति,
जिजीविषा को प्रबल करती!
सखी तुम्हीं ने आशाओं का,
मन मंदिर में दीप जलाया!
सखी तुम्हारे दर्शन करके,
मेरा कोमल मन मुस्काया!"
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प्रेम, एक ऐसा सम्बन्ध है, जो दुनिया में सबसे अनमोल अनुभूति है! जहाँ परस्पर प्रेम होता है वहां, सम्बंधित पक्ष निश्चित रूप से एक दूसरे का सहयोग करते हैं, एक दूसरे के साथ कंधे से कंधा मिलाकर सुख-दुःख के भागीदार बनते हैं, तो आइये समर्पण के प्रेम के संवाहक बनें..."
चेतन रामकिशन "देव"
दिनांक-१७.०१.२०१३
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मेरी ये रचना मेरे ब्लॉग पर पूर्व प्रकाशित"
3 comments:
आपकी यह बेहतरीन रचना शनिवार 19/01/2013 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जाएगी. कृपया अवलोकन करे एवं आपके सुझावों को अंकित करें, लिंक में आपका स्वागत है . धन्यवाद!
प्रेम ही भक्ति ,प्रेम ही शक्ति ,
प्रेम त्याग है ,प्रेम वलिदान है
प्रेम स्वार्थ ,निस्वार्थ भी है ,
प्रेम संजीवनी है.
New post कुछ पता नहीं !!! (द्वितीय भाग )
New post: कुछ पता नहीं !!!
बहुत बहुत प्यारी रचना...
प्रेमपगी ये रचना मन मोह गयी...
अनु
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