Wednesday, 9 January 2013

♥खत का पैगाम..♥

♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥खत का पैगाम..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
खत पे नाम लिखा था तेरा, लेकिन तुझको भेज न पाया!
मैं किस्मत की अनदेखी से, हमदम तुझसे मिल न पाया!

डर था मुझको मेरे दर्द से, भीग न जायें तेरी पलकें,
इसीलिए तो मैंने तुझको, अपना दुख भी न दिखलाया!

लगता है के इस धरती पर, मिटटी के पुतले रहते हैं,
चीख किसी मजलूम की सुनकर, कोई देखो पास न आया!

तुम आये तो हमदम मेरा, दिल भी खुश है और रूह भी,
बिना तुम्हारे मेरा चेहरा, एक पल को भी न मुस्काया!

"देव" सुनो तुम मेरी माँ से, बढ़कर कोई नहीं है मुझको,
और किसी की दुआ से मैंने, जन्नत जैसा सुख न पाया!"

..................चेतन रामकिशन "देव".....................
दिनांक--०९.०१.२०१३

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