Wednesday, 2 January 2013

♥♥पत्थर का खुदा..♥♥


♥♥♥पत्थर का खुदा..♥♥♥♥

कोई तो दर्द, कोई दवा बेचने चला!
कोई यहाँ पत्थर का खुदा बेचने चला!

जिसने कभी रब से मुझे माँगा था दोस्तों,
वो शख्स ही अब मेरी वफ़ा बेचने चला!

घर के सभी लोगों ने जिसे रहनुमा चुना,
वो आदमी ही घर का दीया बेचने चला!

दारू ने कैसी काई जमाई दिमाग पर,
रखवाला ही अब घर की हया बेचने चला!

लोगों ने "देव" उसका कभी सच नही समझा,
मज़बूरी में वो सच की अदा बेचने चला!"

...........चेतन रामकिशन "देव"............
दिनांक--०३.०१.२०१३

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