♥♥♥♥♥♥♥♥♥दूरियां..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
तुम भले ही मेरी नजरों से, दूर जाते हो!
मुझको दिन रात मगर, याद बहुत आते हो!
तेरी आँखों में भी, आंसू की बूँद दिखती हैं,
फिर भी न जाने मुझे, इतना क्यूँ सताते हो!
तुम जो आते हो तो, अँधेरा चला जाता है,
दीप बनकर के मेरे दिल में, जगमगाते हो!
तुमको नफरत है अगर, मेरे नाम से तो फिर,
मेरी तस्वीर को सीने से, क्यूँ लगाते हो!
इतना तो "देव" की, आँखों को पता है हमदम,
तुम भी गीतों को मेरे, दिल से गुनगुनाते हो!"
..........चेतन रामकिशन "देव"..........
दिनांक-०६.०२.२०१३
1 comment:
Very nice poetry
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