Friday, 22 March 2013

♥♥ हालात..♥♥


♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥ हालात..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
अपने हालात पे रोकर भी, क्या मैं पाउँगा!
सूखे पत्तों की तरह, पेड़ से गिर जाऊंगा!

याद आयेंगे तुम्हें, लम्हें मेरी चाहत के,
तेरी महफ़िल में गज़ल, जब मैं गुनगुनाऊंगा!

मुझको अंदाजा है, के जीत अभी मुश्किल है,
फिर भी तकदीर को, मैं अपनी आजमाऊंगा!

अपने माँ बाप से, जलने का हुनर सीखा है,
मैं अंधेरों से कभी, खौफ नहीं खाऊंगा!

चाँद पे घर हो तमन्ना, मैं "देव" रखता नहीं,
हाँ मगर सबकी निगाहों में, घर बनाऊंगा!"

............चेतन रामकिशन "देव".............
( २२.०३.२०१३)


7 comments:

दिल की आवाज़ said...

BAHUT BADHIYA GAZAL RAMKISHAN DEV JI ... BADHAI !

अरुन अनन्त said...

आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (24-03-2013) के चर्चा मंच 1193 पर भी होगी. सूचनार्थ

Pratibha Verma said...

बहुत सुन्दर ...
पधारें " चाँद से करती हूँ बातें "

chetan ramkishan "dev" said...

"
सम्मानित दिल की आवाज जी!
आपका आभारी हूँ!
आपका स्नेह अनमोल है! "

chetan ramkishan "dev" said...
This comment has been removed by the author.
chetan ramkishan "dev" said...

"
सम्मानित अरुण जी!
आपका आभारी हूँ!
आपका स्नेह अनमोल है!
रचना को चर्चा में रखने के लिए आभार.. "

chetan ramkishan "dev" said...

"
सम्मानित प्रतिभा जी!
आपका आभारी हूँ!
आपका स्नेह अनमोल है!"