♥♥♥♥♥♥♥♥♥जीवन की गतियां..♥♥♥♥♥♥♥♥♥
हो मंजर दर्द का या फिर, खुशी की जिंदगानी हो!
हंसी की धूप खिल जाए, या फिर आँखों में पानी हो!
यही जीवन की गतियां हैं, इन्हीं के साथ तुम चलना,
कभी बारिश, कभी पतझड़, कभी ये रुत सुहानी हो!
कभी तन्हाई मिलती है, कभी मिलने के पल आते!
कभी आती बहारें हैं, कभी खिलने के पल आते!
सदा तुम बोलना सच ही, भले दुनिया बैगानी हो!
हो मंजर दर्द का या फिर, खुशी की जिंदगानी हो...
सवेरा हो, अँधेरा हो, कभी दिन रात होते हैं!
कभी अनदेखे, अनजाने, नए जज्बात होते हैं!
वही मंजिल को पाते हैं, जो अपने शौक को भूलें,
जिन्हें कुछ करना होता है, कहाँ वो लोग सोते हैं!
ये ऐसे लोग जो अवसर, पकड़ना भूल जाते हैं!
सदा ये कोसते खुद हो, सदा आंसू बहाते हैं!
नहीं वो हार से डरते, वो जिनको जीत पानी हो!
हो मंजर दर्द का या फिर, खुशी की जिंदगानी हो!"
.............चेतन रामकिशन "देव"..............
दिनांक-०९.०३.२०१३
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