♥♥♥♥♥♥♥♥इंसानियत की राह..♥♥♥♥♥♥♥♥
कभी इंसानियत की राह से, तुम दूर न होना!
भले दौलत हो कितनी भी, कभी मगरूर न होना!
किसी के बिन जमाने में, जो तुम जिंदा न रह पाओ,
मोहब्बत में कभी इतने बड़े, मजबूर न होना!
तरस जायें जो घर के लोग, एक रोटी के टुकड़े को,
कभी दारू की बोतल में, यूँ ऐसे चूर न होना!
तुम्हारा दिल परेशां हो, तुम्हारी रूह दे लानत,
इमां को बेचकर जग में, कभी मशहूर न होना!
हुनर को "देव" कर लो तुम, उजालों की तरह रौशन,
किसी अपनी ही गलती से, कभी बेनूर न होना!"
...............चेतन रामकिशन "देव"..............
दिनांक-०९.०३.२०१३
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