♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥प्रतीक्षा की घड़ी.♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
प्रतीक्षा की कठिन घड़ी ये, काटे से भी कट नहीं पाती!
बिना तुम्हारे रात चांदनी, सखी मुझे अब नहीं सुहाती!
तारे गिनकर बिता रहा हूँ, कठिन रात के कठिन पहर को,
सखी मेरी आँखों को देखो, बिना तुम्हारे नींद न आती!
सखी मेरी तू आ जाया कर, बिना तुम्हारे कुछ न भाये!
नहीं सहन होती ये पीड़ा, जहर विरह का पिया न जाये!
बिना तुम्हारे ख़ामोशी है, कोयल कलरव नहीं सुनाती!
प्रतीक्षा की कठिन घड़ी ये, काटे से भी कट नहीं पाती...
मैं मज़बूरी समझ भी जाऊं, लेकिन दिल किसकी सुनता है!
रात को चाहें या दिन निकले, बस तेरे सपने बुनता है!
"देव" मेरा दिल कहता है के, एक दिन तुम आओगी मिलने,
इसी आस में सखी मेरा दिल, फूल तेरी खातिर चुनता है!
बिना तुम्हारे जान नहीं है, मेरा तन बेजान हुआ है!
सखी मेरी व्याकुल आँखों को, हर पल तेरा ध्यान हुआ है!
सखी तुम्हारे बिन आँखों की, प्यास जरा भी बुझ नहीं पाती!
प्रतीक्षा की कठिन घड़ी ये, काटे से भी कट नहीं पाती!"
...................चेतन रामकिशन "देव"......................
दिनांक-१४.०४.२०१३
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