Sunday, 14 April 2013

♥♥द्वन्द..♥♥


♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥द्वन्द..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
द्वन्द कभी अपनों से होता, द्वन्द कभी होता है मन से!
द्वन्द कभी होता सपनों से, द्वन्द कभी होता है तन से!

जीवन के हर पथ पर देखो, द्वन्द हमेशा होता रहता!
लाख हँसे बाहर से कोई , पर भीतर से रोता रहता!
कभी कोई अपनों से छलकर, पत्थर जैसा हो जाता है,
और कोई पत्थर होकर भी, मोम की फसलें बोता रहता!

द्वन्द कभी हो निर्धनता से, द्वन्द कभी होता धन से!
द्वन्द कभी होता सपनों से, द्वन्द कभी होता है तन से...

लेकिन द्वन्द भले हो कितना, धीरज नहीं हमें खोना है!
हमे निराशा के अंकुर को, कभी नहीं मन में बोना है!
"देव" कभी तुम द्वन्द के कारण, नहीं भटक जाना राहों से,
हमे द्वन्द से भय खाकर के, नहीं यहाँ हरगिज रोना है!

द्वन्द कभी पीछा ना छोड़े, द्वन्द सदा होता जीवन से!
द्वन्द कभी होता सपनों से, द्वन्द कभी होता है तन से!"

..................चेतन रामकिशन "देव".....................
दिनांक-१५.०४.२०१३

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