Monday, 15 April 2013

♥गम का तहखाना.♥


♥♥गम का तहखाना.♥♥
गम के गहरे तहखाने में!
और आंसू के मयखाने में!
अब खुशियों की नहीं तमन्ना,
डर लगता है मुस्काने में!

हवा है लेकिन घुटन बहुत है!
इन आँखों में चुभन बहुत है!
सुनो जरा हौले से छूना,
मेरे दिल में दुखन बहुत है!

दुख के बादल उमड़ रहे हैं,
गम देने को, नजराने में!

अब खुशियों की नहीं तमन्ना,
डर लगता है मुस्काने में...
अपना कहकर बनें पराये!
लोगों का रुख समझ न आये!
"देव" जिसे मलमल का समझो,
वो इन्सां ही ठेस लगाये!

बिन उसके ये दिल नहीं लगता,
उमर बीत गयी समझाने में!

अब खुशियों की नहीं तमन्ना,
डर लगता है मुस्काने में!"
..चेतन रामकिशन "देव"..
दिनांक-१५.०४.२०१३

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