Wednesday 24 April 2013

♥नरमी का एहसास.♥♥


♥♥♥♥♥♥♥♥नरमी का एहसास.♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
तुम्हें देखकर मेरे दिल में, नरमी के एहसास जगे हैं!
तुमसा खास नहीं है कोई, यूँ तो मेरे कई सगे हैं!

सखी चांदनी रात के जैसा, सुन्दर है सिंगार तुम्हारा!
बड़े भाग्य से मैंने पाया, इस जीवन में प्यार तुम्हारा!
"देव" तुम्हारे प्रेम की चाहत, मुझको हर पल उर्जा देती,
दूर हो लेकिन फिर भी करता, मैं मन से दीदार तुम्हारा!

सखी तुम्हारे प्रेम से मेरी, आँखों में ये ख्वाब उगे हैं!
तुम्हें देखकर मेरे दिल में, नरमी के एहसास जगे हैं...

तुम नेनों के पटल पे अंकित, छवि तुम्हारे वसी है मन में!
सखी मैं तेरे संग उड़ता हूँ, पंख पसारे नील गगन में!
तुमसे ही रौनक है घर में, तुमसे बागों की हरियाली,
तुमसे ही खुशियों के दीपक, जले सखी मेरे जीवन में!

सखी तुम्हारे प्रेम से देखो, इस जीवन को पंख लगे हैं!
तुम्हें देखकर मेरे दिल में, नरमी के एहसास जगे हैं!"

....................चेतन रामकिशन "देव"......................
दिनांक-२४.०४.२०१३




No comments: