♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥फुर्सत.♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
आज दर्द के गलियारों से, दो पल फुर्सत के लाया हूँ!
खुली हवा में सांसें ली हैं और जी भर के मुस्काया हूँ!
फुर्सत के इन दो लम्हों का, मंजर देखो बड़ा ही प्यारा!
नदियाँ मुझसे मिलने दौड़ीं, हरियाली ने मुझे दुलारा!
"देव" हमेशा इन लम्हों की, याद रहेगी मेरे दिल को,
इन छोटे से दो लम्हों ने, मन से दुख का बोझ उतारा!
आज मिली है इतनी फुर्सत, गिरकर देखो उठ पाया हूँ!
आज दर्द के गलियारों से, दो पल फुर्सत के लाया हूँ!"
...................चेतन रामकिशन "देव"..................
दिनांक-०३.०४.२०१३
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