Wednesday, 1 May 2013

♥♥पीड़ा का भूचाल..♥♥

♥♥♥पीड़ा का भूचाल..♥♥♥
मेहनतकश का हाल वही है!
पीड़ा का भूचाल वही है!
उसकी आँखे पथराई हैं,
उसके तन की खाल वही है!

मजदूरों का हाल वही है,
लेकिन साल बदल जाता है!
भूख जलाती है भीतर से,
धूप से चेहरा जल जाता है!
ये कुदरत भी मजदूरों का,
साथ कहाँ देती है देखो,
बारिश में उसका घर टपके,
वही शीत में गल जाता है!

वही यहाँ पीड़ा में रहता,
और यहाँ कंगाल वही है!
उसकी आँखे पथराई हैं,
उसके तन की खाल वही है....

देश के सारे खद्दरधारी,
अपनी मस्ती में रहते हैं!
और मजदूरों की आँखों से,
हर पल ही आंसू बहते हैं!
"देव" यहाँ पर मजदूरों की,
आह नहीं सुनता है कोई,
भले रुदन में, चीख चीख कर,
वो अपनी पीड़ा कहते हैं!

वही यहाँ पर गुमसुम रहता,
और यहाँ बेहाल वही है!
उसकी आँखे पथराई हैं,
उसके तन की खाल वही है!"

..चेतन रामकिशन "देव"..
दिनांक-०१.०५.२०१३

1 comment:

Unknown said...

mazdooron ki kathinaiyon ka marmik chitran! acchi rachna.

-Abhijit (Reflections)