♥♥♥♥♥♥♥♥♥सुलगता दिल..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
गमों से दिल सुलगता है, सुलगने दो, सुलगने दो!
मेरी आँखों से तुम अब, दर्द का सैलाब गिरने दो!
जो तपता है, जो जलता है, वही कुंदन सा बन पाए,
गमों की आग में मुझको, जरा दिन रात जलने दो!
जो डरकर हार से, आँखों के सपने तोड़ देते हैं!
कहाँ हैं वो आदमी होंगे, जो जीना छोड़ देते हैं!
नया दिन फिर से निकलेगा, जरा ये रात ढलने दो!
गमों से दिल सुलगता है, सुलगने दो, सुलगने दो...
अंधेरों से उजालों का, सफर हर रोज होता है!
कोई खुशियों का पाता है, कहीं एहसास रोता है!
सुनो हम "देव" इस दुनिया को, आखिर क्या सिखायेंगे,
वही नेकी पढाता है, यहाँ कातिल जो होता है!
अगर तुम खुद जरा संभलो, तो ये हालात बदलेंगे!
अंधेरों में भी ज्योति के यहाँ, एहसास निकलेंगे!
चलो कुछ देर को मुझको, जरा खुद से ही मिलने दो!
गमों से दिल सुलगता है, सुलगने दो, सुलगने दो!"
....................चेतन रामकिशन "देव".......................
दिनांक-०८.०६.२०१३
गमों से दिल सुलगता है, सुलगने दो, सुलगने दो!
मेरी आँखों से तुम अब, दर्द का सैलाब गिरने दो!
जो तपता है, जो जलता है, वही कुंदन सा बन पाए,
गमों की आग में मुझको, जरा दिन रात जलने दो!
जो डरकर हार से, आँखों के सपने तोड़ देते हैं!
कहाँ हैं वो आदमी होंगे, जो जीना छोड़ देते हैं!
नया दिन फिर से निकलेगा, जरा ये रात ढलने दो!
गमों से दिल सुलगता है, सुलगने दो, सुलगने दो...
अंधेरों से उजालों का, सफर हर रोज होता है!
कोई खुशियों का पाता है, कहीं एहसास रोता है!
सुनो हम "देव" इस दुनिया को, आखिर क्या सिखायेंगे,
वही नेकी पढाता है, यहाँ कातिल जो होता है!
अगर तुम खुद जरा संभलो, तो ये हालात बदलेंगे!
अंधेरों में भी ज्योति के यहाँ, एहसास निकलेंगे!
चलो कुछ देर को मुझको, जरा खुद से ही मिलने दो!
गमों से दिल सुलगता है, सुलगने दो, सुलगने दो!"
....................चेतन रामकिशन "देव".......................
दिनांक-०८.०६.२०१३
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