Saturday, 8 June 2013

♥♥बेदर्दी का ठोस धरातल..♥♥

♥♥♥♥♥♥♥♥बेदर्दी का ठोस धरातल..♥♥♥♥♥♥♥♥♥
बेदर्दी का ठोस धरातल, इन अश्कों से नहीं पिघलता!
बदकिस्मत लोगों के घर में, खुशी का सूरज नहीं निकलता!
इस दुनिया से तुम कितनी भी, मिन्नत करना अपनायत की,
लेकिन जिनका दिल पत्थर हो, उनका आंसू नहीं निकलता!

लोग सड़क पर घायल होकर, तड़प तड़प कर मर जाते हैं!
पर पत्थर के लोग दया की, कहाँ इनायत कर पाते हैं!

मजलूमों पर जुल्म देखकर, खून भी इनका नहीं उबलता!
बेदर्दी का ठोस धरातल, इन अश्कों से नहीं पिघलता...

सही आदमी के चेहरे पर, गम की काई चढ़ जाती है!
और पीड़ा की घनी लिखावट, नई कहानी गढ़ जाती है!
सुनो "देव" यूँ तो दुनिया में, हर इन्सां को दर्द है लेकिन,
बिना जुर्म के सजा मिले तो, चीख दर्द की बढ़ जाती है!

ये अँधा कानून किसी का, रोता मुखड़ा देख सके न!
कभी किसी के टूटे दिल का, जलता दुखड़ा देख सके न!

कभी कभी ये दर्द का मौसम, अंतिम पल तक नहीं बदलता!
बेदर्दी का ठोस धरातल, इन अश्कों से नहीं पिघलता!"

.....................चेतन रामकिशन "देव".....................
दिनांक-०९.०६.२०१३

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