♥♥♥♥♥♥♥ खुशी की आस ...♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
गमों की रात है लेकिन, खुशी की आस रखी है!
मुझे पाना है मंजिल को, सदा ये प्यास रखी है!
भले ही उम्र भर मैंने, यहाँ सब कुछ गंवाया है,
मगर माँ बाप की हर सीख, अपने पास रखी है!
ये दौलत रूह के रिश्तों के, जैसी हो नहीं सकती!
ये दौलत प्यार के पौधे, दिलों में बो नहीं सकती!
भले ही दर्द पाया पर, हकीक़त खास राखी है!
गमों की रात है लेकिन, खुशी की आस रखी है…
नहीं इंसान जो औरों के दुख में, काम न आये!
दुआ करना किसी के घर, गमों की शाम न आये!
सुनो तुम "देव" मुझको कद्र है, तेरी मोहब्बत की,
तुम्हे देखे बिना दिल को, मेरे आराम न आये!
अभावों में भी जो मंजिल को, अपनी ठान लेते हैं!
जो अपनी आत्मा तक देखो, खुद को जान लेते हैं!
उन्ही लोगों ने कायम आज तक, इतिहास रखी है!
गमों की रात है लेकिन, खुशी की आस रखी है!"
.................चेतन रामकिशन "देव".................
दिनांक-२३.०८.२०१३
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