Saturday, 14 September 2013

♥♥तुम यदि हो...♥♥

♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥तुम यदि हो...♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
तुम सुगन्धित फूल जैसी, तुम समर्पित एक नदी हो!
अब मैं तुमसे क्या छुपाऊं, तुम हमारी जिंदगी हो!
मैंने जाना है तेरे संग, प्रेम का क्या अर्थ होता,
मुझको धरती पे दिखे रब, सामने जो तुम यदि हो!

प्रेम की प्रतीक हो तुम, प्रेम की तुम भावना हो!
प्रेम का सिंगर तुमसे, प्रेम की तुम साधना हो!

तुम हमारी आस्था हो, वंदना हो, बंदिगी हो!
तुम सुगन्धित फूल जैसी, तुम समर्पित एक नदी हो…

प्रेम उस नक्षत्र जैसा, जो बनाये जल को मोती!
प्रेम से पत्थर की पूजा, प्रेम से है हर मनौती!
"देव" तुमसे प्रेम का संवाद, मन को भा गया है!
प्रेम का सुन्दर उजाला, मेरे मन पर छा गया है!

प्रेम की सुन्दर छटा से, जिंदगी भी है मनोरम!
बारह मासों से मधुर है, प्रेम का रंगीन मौसम!

तुम न हिंसा, न ही रंजिश, और न कोई बदी हो!
तुम सुगन्धित फूल जैसी, तुम समर्पित एक नदी हो!"

....................चेतन रामकिशन "देव".....................
दिनांक-१४.०९.२०१३

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