Friday 27 September 2013

♥♥पुष्पों का अर्पण..♥♥

♥♥♥♥♥♥♥♥♥पुष्पों का अर्पण..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
पुष्पों का अर्पण करता हूँ, वीर भगत सिंह तेरे चित्र पर,
सही अर्थ में तुम ही देखो, इन पुष्पों के अधिकारी हो!

तुमने अपने रक्त से सींचा, इस भारत की इस धरती को,
तुम हर क्षण ही नमन योग्य हो, तुम वंदन के अधिकारी हो!

आज देश के देह जल रही, लोगों ने फिर तुझे पुकारा!
तू ही आकर बो सकता है, आज़ादी का अंकुर प्यारा!
आज देश के भीतर दुश्मन, अंग्रेजों से पनप रहे हैं,
आकर उनका वध करना है, झुलस रहा है भारत सारा!

तुमने जुल्म की बेड़ी काटी, अपना लहू बहाकर के भी!
तुमने सबको दिया उजाला, खुद को यहाँ जलाकर के भी!
"भगत" तुम्हारे कद के आगे, "देव" भला ये क्या लिख पाए,
एक आह भी नहीं निकली, तुमने प्राण लुटाकर के भी!

तुम रहते हो स्मृति में, तुम प्यारे और मनोहारी हो,
सही अर्थ में तुम ही देखो, इन पुष्पों के अधिकारी हो!"

(आजादी के महानायक वीर भगत सिंह को नमन)

...................चेतन रामकिशन "देव"...................
दिनांक-२८.०९.२०१३ —

No comments: