♥♥♥♥♥♥♥♥♥टूटते तारों से...♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
टूटते तारों से मन्नत, मांगकर भी क्या मिला है!
आज भी तो जिंदगी में, दर्द का एक सिलसिला है!
अपने हाथों से तराशा, मैंने अपनी देह को,
तब कहीं मेरा बदन ये, आदमी जैसा ढ़ला है!
दर्द की फरियाद देखो, कोई सुनता ही नहीं,
इसीलिए तो अब जहाँ में, चुप ही रहने में भला है!
जिंदगी में जब से मेरी, वक़्त ये आया बुरा,
तब से देखो चांदनी में भी, हमारा घर जला है!
तब से मेरा रंग खिलकर, चाँद सा उजला हुआ,
जब से मैंने आंसुओं को, अपने चेहरे पे मला है!
आज फिर डूबी हैं आँखे, आंसुओं की बाढ़ से,
ऐसा लगता है ग़मों की, बर्फ का पर्वत गला है!
"देव" फिर भी जिंदगी से, न गिला मुझको कोई,
रात दिन किस्मत ने बेशक, मेरी खुशियों को छला है!"
............…चेतन रामकिशन "देव".....................
दिनांक-१६.१०.२०१३
टूटते तारों से मन्नत, मांगकर भी क्या मिला है!
आज भी तो जिंदगी में, दर्द का एक सिलसिला है!
अपने हाथों से तराशा, मैंने अपनी देह को,
तब कहीं मेरा बदन ये, आदमी जैसा ढ़ला है!
दर्द की फरियाद देखो, कोई सुनता ही नहीं,
इसीलिए तो अब जहाँ में, चुप ही रहने में भला है!
जिंदगी में जब से मेरी, वक़्त ये आया बुरा,
तब से देखो चांदनी में भी, हमारा घर जला है!
तब से मेरा रंग खिलकर, चाँद सा उजला हुआ,
जब से मैंने आंसुओं को, अपने चेहरे पे मला है!
आज फिर डूबी हैं आँखे, आंसुओं की बाढ़ से,
ऐसा लगता है ग़मों की, बर्फ का पर्वत गला है!
"देव" फिर भी जिंदगी से, न गिला मुझको कोई,
रात दिन किस्मत ने बेशक, मेरी खुशियों को छला है!"
............…चेतन रामकिशन "देव".....................
दिनांक-१६.१०.२०१३
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